ये कुछ दौडते हुए
कुछ चलते हुए
कुछ सायकील वाले
दर दर जा रहे है
हर भगवान के द्वार
और जहां दारू के दुकान
बडे बडे मॉल और सब कुछ
खुला खुला है वही मेरे देव
दबे दबे घुटन महसुस कर
शांत शांत अपने ही साथ
काश अंदर स्थित देवधीदेव
इनकी इस भक्ती स्वीकारे
और कोई उन्हे खोल कर
मुक्त करे आझाद करे
कल देखा शाम को
जब लौट रहा था घर
मदिरालाय के बाहर थे
सेकडो शराबी भक्त
न कतार, न अंतर था
मदिरालय का मालिक भी
नही दिखाई दे रहा था
कई शहरोमे सुना है
खुल गयी है कुछ कुछ
पता नही मस्जिद या चर्च
किंतु सारे कारोबार
चल रहे है वैसे ही
जैसे पहले चलते थे
फिर मेरे भगवान और श्रद्धालु
आप को ये सजा क्यों ??
बंद दरवाजा दिखा फोटो के पिछे
और बस रहा नही गया
शरद पुराणिक
190920
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